शुक्रवार, 29 जून 2007

नेताजी से

जनता बोली-
"क्यों नेताजी,
हमने तुम्हें वोट देकर के
राजनीति की कुर्सी दी है
तुमने इसके बदले बोलो
हम जनता को क्या लौटाया?"

नेता बोला-
"प्यारी जनता
मेरी भोली, न्यारी जनता
तुमने सौंपी मुझको सत्ता
बदले में मैं क्या दे सकता

भ्रष्टाचार, घोटाला
चारा और हवाला
हडतालें-आंदोलन
अफसरशाही-भूमिदोहन
कालाहांडी, कच्छ-अकाल
भूखी माँएँ-रोगी लाल

अरे बुद्धुओं, चुप ही बैठो
मत माँगो तुम हमसे उत्तर
देने को मैं वायदे दूँगा
नारे और घोटाले दूँगा
खुली जुबाँ को ताले दूँगा
आश्वासन हर बार मिलेंगे
पढने को अखबार मिलेंगे " 
-योगेन्द्र मौदगिल

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