सोमवार, 24 अगस्त 2009

अनुभवजन्य उक्तियाँ

मेरे एक मित्र USB ने एक मेल भेजा, जिसमें महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के द्वारा कही गयी बातों का जिक्र है. चूंकि, मुझे वह काफी प्रभावकारी लगी तो सोचा कि आंग्लमाध्यम में कही गई उस छवियुक्त फाइल को हिंदी भाषा में भी उपस्थित किया जाये, ताकि उन बातों का क्षेत्र और व्यापक हो. अस्तु, "थोड़ा लिखना/कहना और बहुत समझना" को चरितार्थ करते हुए सीधे पढ़ते है, मान्यवरों द्वारा उच्चरित छोटी, सारगर्भित महत्त्वपूर्ण बातें....

** यदि पूरे दिन में आपका प्रत्यक्षीकरण किसी समस्या से नहीं हुआ तो यह जानिए कि आप गलत रास्ते पर यात्रा कर रहे हैं। --> स्वामी विवेकानंद.

** यदि आपने लोगों को समझने में ही वक्त जाया कर दिया, तो फिर आपके पास इतना समय नहीं बचेगा कि आप उनसे प्रेम कर सकें। --> टेरेसा.

** यदि आप यह महसूस करते हैं कि आपने जीवन में कभी कोई गलती नहीं की है, तो इसका मतलब यह है कि आपने अपनी जिन्दगी में कभी भी किसी नई चीज हेतु प्रयत्न नहीं किया है। --> अल्बर्ट आइंस्टीन.

** जीवन में कभी भी चार चीजें मत तोड़ो- (किसी का) विश्वास, संबंध, वचन या प्रतिज्ञा और दिल। क्योंकि जब ये टूटते हैं तो आवाज तो नहीं होती किन्तु दर्द बहुत ज्यादा होता है। --> चार्ल्स डिकेन्स.

** सफलता के तीन सूत्र :- दूसरों की तुलना में अधिक जानो, दूसरों की तुलना में अधिक श्रम/कार्य करो, और दूसरों की तुलना में कम की आशा रखो। --> विलियम शेक्सपीयर.

** यदि आप जीतते हो तो उसे दूसरों के सामने व्याख्यायित करने की आवश्यकता नहीं .... और यदि हारते हो, तो उसे बताने के लिए आप नहीं रहोगे। --> एडोल्फ हिटलर.

** यदि हम उन लोगों को प्यार नहीं कर पाते, जिन्हें हम देख रहे हैं, तो हम उस ईश्वर से कैसे प्यार कर सकते हैं, जिसे हमने देखा ही नहीं....। --> टेरेसा.

** हजार बार असफल हुआ हूं, ऐसा कहने की जगह यह कहना श्रेयस्कर है कि मैंने उन हजार रास्तों को खोजा, जो असफलता की ओर ले जाते हैं। --> थॉमस अल्वा एडीसन.

** सभी दुनिया को बदलने के बारे में सोचते हैं, किंतु कोई अपने आप को बदलने के बारे में नहीं सोचता। --> लियो टॉलस्टॉय.

** प्रत्येक व्यक्ति पर विश्वास करना खतरनाक है, किंतु किसी पर भी विश्वास न करना, उससे भी ज्यादा खतरनाक है। --> अब्राहम लिंकन.

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उम्दा कलेक्शन है, आभार!!

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  2. मित्र इन उक्तियों हेतु धन्यवाद! परन्तु मेरा प्रश्न मात्र इतना है कि तुमने स्वयं इनमें से कितनी बातों पर अमल किया है।

    तुम्हारी मित्र अंकिता

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  3. @ अंकिता,
    कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता, आजीवन वह कुछ ना कुछ करता रहता है. गलतियां करता है, और कभी उनसे सीख भी लेता है, कभी नहीं भी. जहां तक तुमने मेरे बारे में पूछा है कि "तुमने स्वयं इनमें से कितनी बातों पर अमल किया है।" तो जब ईमानदारी से मैंने इन उक्तियों को पढ़ा तो लगा कि पूरी तरह तो किसी भी उक्ति पर मैं खरा नहीं उतरता किंतु उन्हें अपनी जिंदगी में उतारने की अवश्य कोशिश करता रहता हूं.

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  4. नमस्कार दिवाकर जी ,
    आपका यह प्रयास बहुत प्रशंश्नीय है

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