स्वागतम् !!
इस ब्लॉग को बनाते समय मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजी के ही अधिकतम प्रभुत्व वाले इंटरनेट रूपी समुद्र में अपनी हिंदी भाषा को और समृद्ध करना, ताकि आगे आने वाले समय में हिंदी भाषा के लिए मशीनी अनुवाद पर काम हो तो उसे शब्द भंडार (कॉर्पस) की कमी से ना जूझना पड़े। हालांकि मेरा यह प्रयास समुद्र में एक बूंद जल डालने से भी कम है।
कुछ दिल की, कुछ इधर-उधर की बातें...बांटने आया हूं आपसे.......
गुरुवार, 3 सितंबर 2009
मणिना दिवाकराय नमः
बुधवार, 2 सितंबर 2009
ईश्वर के नाम एक शिशु का पत्र....
सोमवार, 24 अगस्त 2009
अनुभवजन्य उक्तियाँ
मंगलवार, 18 अगस्त 2009
बात में दम है भाया !!
** नहीं पढूंगा(गी)-नहीं पढूंगा(गी), ला दो चाहे ढेर मिठाई ।
** मैं जन्मना बुद्धिमान था लेकिन इस "पढ़ाई-लिखाई" के चक्कर ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा।
** अभ्यास से व्यक्ति “पूर्ण” बनता है.... यह भी उतना ही सच है कि कोई व्यक्ति कभी भी “पूर्ण” नहीं हो सकता.... तो अभ्यास की आवश्यकता क्या है !!
** यह सत्य है कि हमें सदा दूसरों की सहायता करनी चाहिए .........तो फिर दूसरे क्या करेंगे, भाई J
** प्रकाश की गति ध्वनि की तुलना में तीव्रतर होती है.........
** पैसा ही सबकुछ नहीं हैं.... भई, मास्टरकार्ड और वीजाकार्ड भी तो कोई चीज है !!
** व्यक्ति को जानवरों से प्यार करना चाहिए..... वे बहुत स्वादिष्ट होते हैं (यम्म्म्म्म्म्म) !!
** सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला का हाथ होता है…... और एक असफल व्यक्ति के पीछे, दो महिलाओं का । J
** एक Wise (बुद्धिमान) व्यक्ति कभी शादी के पचड़े में नहीं पड़ता है, और जब वह शादी कर लेता है तोOtherwise हो जाता है।
** सफलता एक संबंधी शब्द है.... यह बहुत सारे संबंधियों से मिला देता है।
** कभी भी अपना काम कल पर मत छोड़ो.... ऐसा किया तो फिर आज के लिए क्या छोड़ोगे??
** तुम्हारा भविष्य तुम्हारे सपने पर निर्भर है..... इसलिए चैन से सोकर सपने देखो J
** दिन की शुरुआत करने के लिए सवेरे-सवेरे जगने की अपेक्षा क्या कोई और बेहतर तरीका नहीं हो सकता??
** “अत्यधिक परिश्रम किसी को मारता नहीं”...... लेकिन रिस्क (खतरा) लेने की क्या जरुरत??
** “काम मुझे मोहित कर लेता है”..... मैं इसकी घंटों प्रतीक्षा कर सकता हूं।
** ईश्वर ने रिश्तेदार बनाए...... ईश्वर को धन्यवाद कि कम-से-कम हम अपना मित्र तो चुन सकते हैं।
** जितना अधिक सीखोगे, उतना अधिक जानोगे। जितना अधिक जानोगे, उतना अधिक भूलोगे। जितना अधिक भूलोगे,उतना कम जानोगे......... अतः सीखने की क्या जरुरत, भैये!!
** बस-स्टेशन वह है, जहां एक बस रुकती है। रेलवे-स्टेशन वह है, जहां ट्रेन रुकती है। जहां मैं प्रतिदिन जाता हूं, उसे "कार्य-स्टेशन" कहा जाता है........तो फिर (?).......अब, आगे और क्या कहूं !!
--अंग्रेजी में प्राप्त एक मेल का किंचित् संशोधन सहित हिन्दी रूपान्तरण--
शुक्रवार, 27 मार्च 2009
भारतीय नववर्ष 2066 वि.सं. हेतु हार्दिक शुभेच्छाएँ.....
मंगलवार, 17 मार्च 2009
शासन-प्रणाली का सच
गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009
वो भी क्या दिन थे !!
सोमवार, 9 फ़रवरी 2009
वयं भारतीयाः : हम कौन थे और क्या हो गए !!
