स्वागतम् !!
इस ब्लॉग को बनाते समय मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजी के ही अधिकतम प्रभुत्व वाले इंटरनेट रूपी समुद्र में अपनी हिंदी भाषा को और समृद्ध करना, ताकि आगे आने वाले समय में हिंदी भाषा के लिए मशीनी अनुवाद पर काम हो तो उसे शब्द भंडार (कॉर्पस) की कमी से ना जूझना पड़े। हालांकि मेरा यह प्रयास समुद्र में एक बूंद जल डालने से भी कम है।
कुछ दिल की, कुछ इधर-उधर की बातें...बांटने आया हूं आपसे.......
शुक्रवार, 29 जून 2007
पहचान
आपसी चर्चा के दौरान 'तिरंगा झंडा' में "कौन-सा रंग नीचे होता है?" जब वह नहीं जाना, तब कहीं जाकर विदेशियों ने उसे 'भारतीय नेता' माना |
यदि आप अपनी परंपराओं को नकारकर पाश्चात्य की अंधानुकृति में संलग्न हैं तो वाकई आप अत्याधुनिक एवं धर्मनिरपेक्ष हैं । विशेषतया जिनपर इस देश की महती जिम्मेवारी है, वही अपनी चीजों से दूर हट रहे हैं एवं अपने को पाश्चात्य का दुमकटा पिठ्ठू साबित करने में लगे हुए हैं । हम शेक्सपीयर को तो जानते हैं लेकिन कालिदास के बारे में पुछो तो शायद बगलें झाँकने लगें । धन्य है.......हमारे नेता एवं उनके अनुयायी तथा धन्य हैं स्वघोषित प्रगतिवादी-धर्मनिरपेक्ष कलमघिस्सु .........बारम्बार आपको नमन !!!
यदि आप अपनी परंपराओं को नकारकर पाश्चात्य की अंधानुकृति में संलग्न हैं तो वाकई आप अत्याधुनिक एवं धर्मनिरपेक्ष हैं । विशेषतया जिनपर इस देश की महती जिम्मेवारी है, वही अपनी चीजों से दूर हट रहे हैं एवं अपने को पाश्चात्य का दुमकटा पिठ्ठू साबित करने में लगे हुए हैं । हम शेक्सपीयर को तो जानते हैं लेकिन कालिदास के बारे में पुछो तो शायद बगलें झाँकने लगें । धन्य है.......हमारे नेता एवं उनके अनुयायी तथा धन्य हैं स्वघोषित प्रगतिवादी-धर्मनिरपेक्ष कलमघिस्सु .........बारम्बार आपको नमन !!!
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