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इस ब्लॉग को बनाते समय मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजी के ही अधिकतम प्रभुत्व वाले इंटरनेट रूपी समुद्र में अपनी हिंदी भाषा को और समृद्ध करना, ताकि आगे आने वाले समय में हिंदी भाषा के लिए मशीनी अनुवाद पर काम हो तो उसे शब्द भंडार (कॉर्पस) की कमी से ना जूझना पड़े। हालांकि मेरा यह प्रयास समुद्र में एक बूंद जल डालने से भी कम है।
कुछ दिल की, कुछ इधर-उधर की बातें...बांटने आया हूं आपसे.......
गुरुवार, 28 जून 2007
प्यार करो
प्यार करो कल नहीं आज करो आज क्यों? अभी करो लेकिन किसी नेक से करो फिर भी केवल एक से करो यह कोई सत्यनारायण का प्रसाद नहीं कि आप हरेक से करो |
सही कहा है कि प्यार सत्यनारायण का प्रसाद नहीं है लेकिन हर एक को प्यार बांटने का मजा शायद आपने नहीं पाया है, इसीलिये ऐसा कह रहे हैं | जब अपना दिल एक साथ सारे जगत को प्यार करने लगता है तो समझ में आता है कि अपना हृदय इतना विशाल हो गया है कि इसमें पूरी दुनिया समा जाती है | तब उस चेतस-विस्तार का जो आनन्द मिलता है, वह किसी भी लौकिक आनन्द या व्यक्तिगत प्रेमों से अतुलनीय होता है | इसलिए सभी से प्यार करिये और सभी से प्यार पाइये |
सही कहा है आपने, जनाब !!
जवाब देंहटाएंसही कहा है कि प्यार सत्यनारायण का प्रसाद नहीं है लेकिन हर एक को प्यार बांटने का मजा शायद आपने नहीं पाया है, इसीलिये ऐसा कह रहे हैं | जब अपना दिल एक साथ सारे जगत को प्यार करने लगता है तो समझ में आता है कि अपना हृदय इतना विशाल हो गया है कि इसमें पूरी दुनिया समा जाती है | तब उस चेतस-विस्तार का जो आनन्द मिलता है, वह किसी भी लौकिक आनन्द या व्यक्तिगत प्रेमों से अतुलनीय होता है | इसलिए सभी से प्यार करिये और सभी से प्यार पाइये |
जवाब देंहटाएंआप सही हैं लेकिन यदि मेरे ब्लोग लेबल पर ध्यान देते तो सारी बात समझ में आ जाती ।
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