मंगलवार, 12 फ़रवरी 2008

कुछ क्षणिकाएँ

) नक्सली
भूखों, नंगों को चूसकर
बने हुए लाल से

जब एक और लाल

निकलता है

पुनः

उन भूखे, नंगों को
चूसने के लिए
तो समझो

कोई नक्सली है.


२) वामपंथी
शोषितों के खून से, 
भरे हुए गाल वाला 
एवं 
लाल अट्टालिका में रहने वाला 
जब लाल-लाल चिल्लाए 
समझो 
रक्त पिपासु 
कोई वामपंथी 
नए लाल की तलाश में आ रहा है.

३) वामपंथी सबक
पिता का नाम ? 
मार्क्स. 
देश ? 
चीन. 
धर्म ? 
अफीम.

) मार्क्सवादी इतिहासकार
बीते समय के पन्नों को
खोलकर
एवं

मार्क्स के रंग में
घोलकर
तथ्यों को परोसता.

4 टिप्‍पणियां:

  1. surya ko diya dikhana aur aapki likhi hui baato par tippani karna mere samajh se ek hai.. ye achha hai ki aap apne amulyawaan samai ko desh prem mai laga rahe hai. lekin haan aap se mera ek swarth juda hai--ki aap GOpalganj se hai.. so keep these things up and let others have their dreams come true.!!!

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  2. दिवाकरेण मणिना सुशोभनमिदं कृतम्।
    वार्तापत्रे निबद्धानि काव्यानि प्रस्फुरन्ति हि ॥

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  3. वाह! वाह! सटीक और बहुत जबरदस्त चुटकी लेने वाला।
    ब्लॉग की सार्थकता यही लेखन है।
    (कृपया वर्डवेरीफिकेशन हटा दें तो सहूलियत हो)

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  4. ज्ञानदत्त जी, धन्यवाद टिप्पणी करने हेतु। वर्डवेरीफ़िकेशन भी हटा दिया।

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