शुक्रवार, 14 मई 2010

मौत से जूझते एक ब्लॉगर को जरुरत है आपके शुभकामनाओं की..

ब्लॉगर मित्रों,

हमें पता होता है कि जीवन का हर क्षण बड़ा ही परिवर्तन भरा होता है, लेकिन उसे यथावत्‌ स्वीकारना कितना कठिन होता है, इससे आज मैं दो-चार हूं। मन यह मानने को तैयार नहीं होता कि जिसे हम कुछ घंटों पूर्व तक हँसते-मुस्कुराते देख रहे हैं, वो हमारे सामने जीवन को वापस पाने के लिए मृत्यु से संघर्षरत है। आज मैं बहुत ही ज्यादा दुःखी हूँ। मेरे कार्यालय सहकर्मी राघवेन्द्र गुप्ता जिन्होंने कुछ माह पूर्व ब्लॉग की आभासी दुनिया में ओज-लेखनी नामक ब्लॉग के साथ कदम रखा है, तीन दिन पहले सुबह-सुबह अपने कमरे में अचानक चक्कर खाकर गिर पड़े। सिर के पिछले हिस्से में अंदरुनी गहरी चोट लगने के कारण तुरंत ही बेहोश हो गए। कार्यालय के एक साथी के पास तुरंत ही उनकी श्रीमती जी का फोन आया। फोन सुनते ही आनन-फानन में तुरंत ही कुछ कार्यालय-सहकर्मी उनके निवास पर जाकर वहां से एक निजी क्लिनिक ले गए, जहां उनका प्रारंभिक इलाज आरंभ हो गया। रात्रि तक उनके हालात में कुछ खास परिवर्तन नहीं हुआ तो सहकर्मी-गण उन्हे लेकर पुणे के एक दूसरे प्रतिष्ठित चिकित्सालय में ले गए। वहां के चिकित्सकों ने सीटी-स्कैन और MRI करने के पश्चात्‌ बतलाया कि दिमाग पर चोट लगने के कारण उसके एक चौथाई हिस्से में खून का थक्का जम गया है। स्थिति अति-शोचनीय है, शायद ऑपरेशन करना पड़े। लेकिन MRI की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सकों का कहना है कि खून का थक्का जमने के कारण अब दिमाग ने पूरी तरह से प्रतिक्रिया देना बन्द कर दिया है। यानि कि सामान्य भाषा में कहें तो वे कोमा में चले गए हैं, और उनके बचने की संभावन क्षीण से क्षीणतर हो गई है।

मूलतः कानपुर के रहने वाले पैंतीस वर्षीय राघवेन्द्र गुप्ता निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं, जो सी-डैक, पुणे में टाइपिस्ट के रूप में कार्यरत हैं। अपने माँ-बाप के इकलौते पुत्र हैं, जिनके ऊपर एक बहन की शादी का दायित्व भी है। एक दो वर्ष के बहुत ही प्यारे बच्चे के बाप होने के साथ ही इस दुनिया में छः महीने बाद कदम रखने वाले एक प्यारे शिशु के बाप भी बनने वाले हैं। भावावेश में आकर अपने हिंदी ब्लॉगर-बंधुओं से कुछ मांग रहा हूं, कृपया आप श्री राघवेन्द्र गुप्ता के लिए अपने बहुमूल्य समय में से थोड़ा सा समय निकालकर ईश्वर से उनके पुनर्जीवन हेतु प्रार्थना कर दें। सुना है कि प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है..........

इस घटना से पाँच दिन पूर्व राघवेन्द्र जी ने अपने ब्लॉग पर अतृप्त तृष्णा नाम से यह पंक्तियां लिखी थी-

जिन्दगी उलझ गयी है

मन की तृष्णाओं में लिपट कर।


निकलना इनसे चाहता हूँ

पर चाह कर भी निकल नहीं पाता।।


असीमित हैं लालसायें मन कीं

कुछ कर गुजरना चाहता हूँ।


दल-दल रूपी भंवर मे फंस गया हूँ

प्रयत्न जितना करता हूँ निकलने का

उतना ही फंसता जाता हूँ।


कामनाओं का दमन करते हुये

इस भव-सागर से उबरना चाहता हूँ।।

39 टिप्‍पणियां:

  1. meri duvayein hain Raaghvendra ji ke liye...ishwar kare wo sheeghra hi swasht ho aur punah apni kalam jor shor se chalaayein...

    जवाब देंहटाएं
  2. इस कठिन समय में हमारी शुभकामनाएँ राघवेन्द्र जी और उन के परिवार के साथ हैं। वे शीघ्र ही इस संकट से उबरेंगे। बस एक बात और कि कामनाओं का दमन न करें वे ही आगे बढ़ाती हैं। उन पर विजय प्राप्त करें।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभकामनाएँ राघवेन्द्र जी व उनके परिवार के लिए
    ईश्वर उन्हें जल्द स्वस्थ करे

    जवाब देंहटाएं
  4. हमारी दुवायें सदा उनके एवं उनके सारे परिवार के साथ है। हमें आशा है कि वो जल्दी ही ठीक हो जायेगे। हम भगवान से उनके ठीक होने के लिये प्रार्थना कर रहे हैं।
    सुभाष चन्द्रा (सी-डैक, कोलकाता) एवं निधि सुभाष चन्द्रा

    जवाब देंहटाएं
  5. श्री गुप्ता जी की इच्छा शक्ति ही उन्हें इस संकट से उबार पायेगी । हम सब इश्वर से प्रार्थना करते हैं , उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की ।

    जवाब देंहटाएं
  6. इश्वर की कृपा से वो जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे हमारी प्रार्थना है उनके लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत दुख हुआ ये सब सुनकर।भगवान से हमारी यही प्रर्थना है कि वो यथाशीघ्र स्वस्थ होकर अपने परबार की जिम्मेदारियों का निर्वाहन करें।हमें आशा है कि वो यथाशीग्र स्वस्थ होंगे।

    जवाब देंहटाएं
  8. meree duaayein Raghvendra jee ke liye...ayr aapko dher saa sneh ek achchaa dost banne ke liye

    जवाब देंहटाएं
  9. भगवान राघवेन्द्र जी को जल्दी स्वस्थ करें....

    जवाब देंहटाएं
  10. मुझे आशा है की राघवेन्द्र जी पर इश्वर रहम जरूर करेंगे /

    जवाब देंहटाएं
  11. स्‍वस्‍थ हों राघवेन्‍द्र। दुआएं मेरी भी ले लें।

    जवाब देंहटाएं
  12. ईश्वर से दुआ है कि श्री राघवेन्द्र जी को शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें.

    जवाब देंहटाएं
  13. I pray to Almighty God to grant him health and life. I am sure God will listen although I am angry with God.

    जवाब देंहटाएं
  14. ...जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे हमारी प्रार्थना है ।

    जवाब देंहटाएं
  15. ईश्वर उन्हें जल्द स्वस्थ करे
    शुभकामनाएँ राघवेन्द्र जी व उनके परिवार के लिए

    regards

    जवाब देंहटाएं
  16. राघवेन्द्र जी के लिए शुभकामनाये.
    भगवान उनको जल्दी से जल्दी स्वास्थ्य लाभ दे.
    और उनके जीवन की सारी लालसाये पूरी हो .
    में उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना जरुर करूँगा .
    आपका आभार जो आपने अपने ब्लॉगर भाई के लिए प्रार्थना करने वास्ते हमें बताया.

    जवाब देंहटाएं
  17. ईश्वर से दुआ है कि श्री राघवेन्द्र जी को शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें.

    जवाब देंहटाएं
  18. बेहद दुखी महसुस कर रहा हूँ, तमाम मंगल कामनाएं. हमारी दुआओं से मित्र जल्द ही स्वस्थ होंगे और काम पर लौटेंगे.

    जवाब देंहटाएं
  19. राघवेंद्र जी शीघ्र स्वस्थ हों और अपने ओजस्वी लेखन से जल्दी ही ब्लॉगवुड की दोबारा शोभा बढ़ाएं...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  20. meri umar ka bhi hissa lah jaye par uday ji thik ho jaye .
    mera kya mere upar to kisi ki aashuaye nahi hai unake liye jina abhi jaruri hai

    जवाब देंहटाएं
  21. ईश्वर ने चाहा, तो राघवेन्द्र जी जल्द ही स्वस्थ होकर ब्लॉग जगत में धमाल मचाएंगे।

    जवाब देंहटाएं
  22. ग़ज़ल


    आदमी आदमी को क्या देगा


    जो भी देगा ख़ुदा देगा ।


    मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है


    क्या मेरे हक़ में फ़ैसला देगा ।


    ज़िन्दगी को क़रीब से देखो


    इसका चेहरा तुम्हें रूला देगा ।


    हमसे पूछो दोस्त क्या सिला देगा


    दुश्मनों का भी दिल हिला देगा ।


    इश्क़ का ज़हर पी लिया ‘फ़ाक़िर‘


    अब मसीहा भी क्या दवा देगा ।

    http://vedquran.blogspot.com/2010/05/hell-n-heaven-in-holy-scriptures.html

    जवाब देंहटाएं
  23. शुभकामनाएँ राघवेन्द्र जी व उनके परिवार के लिए
    ईश्वर उन्हें जल्द स्वस्थ करे

    जवाब देंहटाएं
  24. श्री गुप्ता जी शीघ्रातिशीघ्र स्वस्थ हों और शतायु प्राप्त करें , हम सबकी शुभकामनाएं उनके साथ है....

    जवाब देंहटाएं
  25. माँ जगदम्बा से प्रार्थना है की श्री गुप्ताजी को जल्द-से-जल्द स्वस्थ कर दे और उन्हें शतायु प्रदान करे ! जय माता की !

    जवाब देंहटाएं
  26. हे ईश्वर, यदि किसी को दु:ख दो तो ऐसे मत दो कि वह रो न पाए, राघवेन्द्र को शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ करो। हे ईश्वर, कष्ट उसे दो जो दूसरों को कष्ट देता है, राघवेन्द्र को कष्ट मत दो।

    जवाब देंहटाएं
  27. राघवेन्द्र JI ...humaari duain aur shubhkaamnaien aapke saath hain..aap jaldi hi swastha hoker fir si likhne lagenge humein poora vishwaas hai..aapki aur apke parivar ke samast sadasyon ke liye dil de prarthana hai bhagwaan ko!!!

    जवाब देंहटाएं
  28. Gupta Jee ka wapas aana sirf unki jarurat nahin, hammari bhi hai, God! please save his life.

    जवाब देंहटाएं
  29. इस घटना से पाँच दिन पूर्व राघवेन्द्र जी ने अपने ब्लॉग पर “अतृप्त तृष्णा” नाम से यह पंक्तियां लिखी थी-

    जिन्दगी उलझ गयी है
    मन की तृष्णाओं में लिपट कर।

    निकलना इनसे चाहता हूँ

    पर चाह कर भी निकल नहीं पाता।।

    असीमित हैं लालसायें मन कीं
    कुछ कर गुजरना चाहता हूँ।

    दल-दल रूपी भंवर मे फंस गया हूँ
    प्रयत्न जितना करता हूँ निकलने का
    उतना ही फंसता जाता हूँ।

    कामनाओं का दमन करते हुये
    इस भव-सागर से उबरना चाहता हूँ।।........

    ऐसे मनीषी और हृदयवान विचारक के चिरायुता की कामना के साथ ही साथ सदा आरोग्यता की कामना, उस परम पिता परमेश्वर से। और मुझे उस परम पिता से अपनी माँग पर पूरा विश्वास है कि वह गुप्ताजी को शीघ्रातिशीघ्र हर तरह से भला-चंगा कर देगा। धन्यवाद प्रभु।।

    जवाब देंहटाएं
  30. आप सभी ब्लॉगरों की संवेदना को नमन...

    जवाब देंहटाएं
  31. भाई दिवाकरजी,
    आपकी मेहनत जरूर रंग लाएगी,
    ब्लागर मित्रों के प्रार्थना एवं आशिर्वाद के आगे,
    मौत भी झुक जाएगी,
    भाई गुप्ताजी, फिर करेंगे अनवरत लेखन,
    उनके आँगन से चहुँओर फिर खुशी फैल जाएगी।।
    ................................
    गुप्ताजी की आरोग्यता के लिए उस परम पिता परमेश्वर से हार्दिक प्रार्थना।।

    जवाब देंहटाएं
  32. Bhagwaan...sab thik kar dega> uspar bharosa rakhen.

    Mahendra Singh
    Bombay

    जवाब देंहटाएं
  33. Raghvendra g k liye upar wale se prarthna karte huve aap sabhi ki samvedansheelta ko pranam karta hoon

    जवाब देंहटाएं
  34. परम पिता परमेश्वर उनको जल्दी से जल्दी स्वास्थ्य लाभ दे।

    जवाब देंहटाएं
  35. 4: PM 19th May 2010 Condolence Meeting

    MESSAGE

    It is with profound grief, we have gathered here to pay our deepest condolence on the sad and untimely demise of one of our colleague, Raghavendra Gupta. Raghavendra joined the C-DAC family on 1st December 2008 as Member - Multi Functional Support Staff. Very soon, through his hard work, sincerity and pleasing manners, he became very popular with one and all. His capacity to work for long hours and result-oriented activities, earned him the confidence of his seniors; and, soon he embarked upon some prestigious and large projects, where he performed much ahead of the expectations of his superiors.

    Raghavendra Gupta, was, though, from a very humble background but always remained highly committed to his family. He has left behind many responsibilities unfilled. He is survived by his wife, who is on family way and, a two year old son. He has also left behind a grieving family, which includes his father, a lowly paid worker, mother ─ fighting with cancer and a marriageable age sister, who could not complete her education owing to financial constraints.



    Despite numerous challenges in his life, Raghavendra had a sound academic track record and an excellent knowledge of literature. He had numerous pursuits in literary field; and excelled in his various poetic ventures. In fact, he launched a blog named - “oojlekhani.blogspot.com”, where he published his literary work; apparently, intuitively he had some inklings about the events that were to unfold in his life. Few of his creative lines are offered as tribute to him.
    दामन तेरा छूटते ही......

    दामन तेरा छूटते ही.......
    न रहा कोई साथी संगी इस जहाँ में
    न रही कोई आस इस जहाँ में बिन तेरे।
    उम्मीदों का कोई सहारा न रहा बिन तेरे
    आस्था भी उठ गयी इस संसार से बिन तेरे।
    दिल में जो उमंगें थीं पार्थिव हो गयीं तेरे साथ ही
    हृदय में जो एक आस थी वह भी रह गयी
    ऐ खुदा अब क्या रहा इस जहाँ में बिन तेरे।।

    Part II

    ह्दय के किसी भाग में
    विक्षोभ है छुपा
    व्यथित होते हुये भी
    कुछ कह न संकू।

    कभी सिकुडती कभी संकुचाती
    विरह वेदना में जल उठती
    अन्दर की भभक को कुछ यूँ दबाती
    शांत दिखने का प्रयत्न करती।

    रह रह कर विस्मृत परछाइयाँ उभरतीं
    मन को छू कर उद्वीग्न करतीं
    अब वश में नही यह मन मेरा
    ढ़ांढ़स बधाने को नही साथ तेरा।।

    --राघवेन्द्र गुप्ता ‘राघव’



    Raghavendra was an epitome of courage and humility, who in his short sojourn on this earth, left many lasting memories of multi-faceted personality. He shall always remain in our hearts. Now, may I please request everyone to keep two minutes silence to mourn the death of our dear colleague - Raghavendra Gupta. May God rest his soul in peace and provide solace to the bereaved family.

    जवाब देंहटाएं
  36. ओह
    परमात्मा शोक संतप्त परिवार को संबल दे

    जवाब देंहटाएं
  37. हे परमपिता परमेश्वर मेरे जीवन के कुछ वर्ष लेकर राघवेन्द्र जी के जीवन में जोड़कर उन्हें पूर्ण स्वस्थ करो। यही एक शिव भक्त की प्रार्थना है।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी ही हमारा पुरस्कार है।