शुक्रवार, 26 दिसंबर 2008

अंदाज ए बयां : सिमी के पूर्व अध्यक्ष शाहिर बद्र फलाही

यह बताने की कोई खास आवश्यकता नहीं है कि आज के दौर में इंटरनेट एक ऐसा समुद्र है, जिसकी गहराई हिन्द महासागर से किसी भी मामले में कम नहीं है। अचानक डूबते-उतराते मैं भी “YouTube” नामक एक टापू पर पहुंच गया और वहां के एक वीडियो-क्लिप  ने ही सम्प्रति अंगुलियां कुंजी-पटल को दबाने पर मजबूर कर दिया। यह वीडियोक्लिप उस साक्षात्कार का है, जो सिमी पर लगे प्रतिबन्ध के बाद उसके पूर्व अध्यक्ष शाहिद बद्र फलाही से लिया गया है। चैनल की पत्रकार महोदया श्रीमान फलाही से कुछ सवाल करती है, जिसका वो अपनी सुविधानुसार जवाब भी देते हैं, लेकिन इसी सवाल-जवाब के क्रम में वे थोड़ी-सी गड़बड़ कर जाते हैं। आगे कुछ लिखने से पहले फलाही से पूछे गए सवालों एवं उनके ही श्रीमुख से निकले कुछ जवाबों पर जरा गौर करिये-

 

पत्रकार- लश्करे तैय्यबा को आप आतंकवादी संगठन मानते हैं?

फलाही- लश्करे-तैय्यबा नाम का कोई ऑर्गेनाइजेशन है दुनिया के अन्दर । इसके लोग जमीन पे काम करते हैं । इनकों मैंने देखा नहीं ॥

पत्रकार- तालिबान (के बारे में क्या ख्याल है आपका) ??

फलाही- तालिबान पे हमला बगैर सुबूत के किया गया है ॥

पत्रकार- क्या बामियान बुद्धा का तोड़ना गलत है??

फलाही- अगर कोई बुत पूजता है तो इसका मतलब नहीं कि हम उसका बुत छीन के तोड़ दें । एक लॉजिक ये है के अगर मेरे दादा पहले बुत बना के पूजते थे और अब उसको मानने वाले सब के सब लोग चेंज हो गये, और घर में बुत था, अब जो उनके मानने वाले सब के सब लोग चेंज हो गए और इस्लाम ले के आये तो वे उस बुत का क्या करेंगे !!!

 

कितने इमानदारी के साथ फलाही साहब ने उपरोक्त प्रश्नों के जवाब दिए हैं, इसे आप यहां देख व सुन भी सकते हैं। अब जो गौर करने लायक बात है वो यह है कि यदि जब बामियान स्थित भगवान बुद्ध की मूर्ति तोड़ना गलत नहीं था तो जनाब फलाही और उनके जैसी सोच वाले अन्य बुद्धिजीवी 1992 की घटना को कैसे गलत ठहरा सकते हैं??


ये तो वही बात है ना कि मैं करुं तो सही तुम करो तो गलत । समस्या केवल इतनी नहीं है जितनी दिखती है, समस्या तो जुबान के भीतर वाले जुबान से है, जो हर बात को परिस्थिति एवं समयानुसार कहता है। यदि वो दिल्ली में है तो दूसरी बात बोलता है और जब वही आजमगढ़ या कश्मीर या पाकिस्तान में होता है तो दूसरी बात बोलता है। मतलब कि कश्मीर में है तो बोलेगा- “बटो रोअस ते बटनियो सान, इस बनाओ पाकिस्तान अर्थात्‌ पंडित के बिना, पंडितानियों के साथ, हम बनाएंगे पाकिस्तान


जो ये कहते हैं कि 92 की घटना से ही मुस्लिमों में उग्रता का दौर शुरु हुआ वे इतिहास की तिथियों को जान-बूझ कर नजर-अंदाज करने की कोशिश करते हैं। वे शायद कश्मीर को भूल जाते हैं और 1990 के उनदिनों को भी भूल जाते हैं, जब वहां गोलियों के अलावा एक सोच भी चहुंओर व्याप्त थी । उन फुसफुसाहटों में, पोस्टर और मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से गूंजते नारे इसका अहसास कराते थेहम क्या चाहते? आजादी, आजादी । सरहद पार जाएंगे,क्लैश्निकोव लाएंगे ॥” और  कश्मीर में अगर रहना है,अल्लाह हो अकबर कहना है  यहां क्या चलेगा, निजाम--मुस्तफा

 

दुःख केवल यह नहीं है कि आखिर ये ऐसा कहते कैसे हैं? दुःख तो इस बात का है कि हमारे राजनेता और मीडिया का अधिकांश प्रतिशत इनके कुकृत्यों पर ना केवल पर्दा डालता है अपितु उसके समर्थन में नए-नए तर्क भी गढ़ लेता है। J


7 टिप्‍पणियां:

  1. नमो-नमः श्रीमन्,
    भवानुत्तमं विचाराः सन्ति.
    सर्वे भवन्तु सुखिनः.
    दिवाकर बन्धु , किमपि जनाः लातस्य भूतानि सन्ति. उनको बस पकड़ के धोना ही चाहिए, और कुछ नहीं.
    ई-गुरु राजीव

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  2. भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    http://zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    http://chitrasansar.blogspot.com

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  3. yh algawwad ki samsyaa aaj India ki hi nahi varan poore word ki prob ban gyaa hain.. I hone ki yh prob khatam nahi ho sakti jab tk ki Koi chamtkar naa hoo....

    Regards
    Praveen

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  4. mai aapkey baaton se bilkul sahmat hoon ki aaj algawwad jaise pareshani purey dunia ko apney kabze me le rakha hai ye suru se hi aisa chal raha hai ..........

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  5. बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  6. Well Written. Keep it up. Please Join AHWAN-Association of Hindu Writrs And Nationalists. Link is available on my blog: www.secular-drama.blogspot.com

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  7. बहुत ही बढ़िया लेख.. इसके लिए आपको बधाई देना चाहूँगा..

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