सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !!
अपनी बात शुरु करने से पहले शिष्टता के नाते अपना परिचय दे दूं । मैं श्रीयुत् इक्कीसवीं शताब्दी जी का आठवां पुत्र 2008 ई. हूं। अब मेरी चला-चली की बेला है, जीवन के कतिपय 2-4 घंटे बचे हैं। बहुत-सी बातें हैं जो आपसे बांटना चाहता हूं ताकि शांतिपूर्ण तरीके से मर सकूं। हालांकि नहीं जानता कि इन 2-4 घंटों में अभी क्या कुछ देखना पड़ सकता है? किंतु ईश्वर से यही विनती है कि जाते-जाते मेरी मृत्यु को शांतिपूर्ण बना दे और साथ ही यह भी कि मेरे छोटे भाई 2009 को इन सारी विपदाओं से दूर रखे।
जब मेरा जन्म हुआ था तब भी काफी चहल-पहल हुई थी, खुशियां मनायी गयीं थी । ढेरों शुभकामनाओं के बीच पैदा हुआ मैं, आज मरने के पहले, जब अपने जन्म से लेकर के अबतक के दिनों को याद करता हूं तो पाता हूं कि जिन शुभकामनाओं को लेकर मैं पैदा हुआ, वो तो प्रायः प्रतिदिन ही चोटिल होती रहीं किंतु अपनी दुर्दम्य जिजीविषा के द्वारा चोट से उबरती रहीं, फिर से जीने के लिए। आखिर ऐसा कब तक होता, अंत मे, 26 नवंबर को उसे मार ही दिया गया। उस दिन वे शुभकामनाएं अकेली नहीं मरी थी, उनके साथ ही मर गए थे ढेरों अरमान, ढेरो सपने, ढेरो यादें, ढेरो कल्पनाएं और अपने पीछे छोड़ गए कारुणिक विलाप, वीभत्स यादें, सिहरन, घृणा और भी ना जाने क्या कुछ। कहने को आप कह सकते हैं कि कुछ सिरफिरे लोगों ने ऐसा कुछ कर दिया, लेकिन मेरा मानना है कि ये जो घटना अंजाम दी गई, इसके पीछे दानवों का एक बहुत बड़ा तबका है, जिनका एक ही उद्देश्य है-मानवता को ध्वस्त करना। इस घटना के जिम्मेदार केवल वे दानव ही नहीं हैं अपितु उन दानवों के लिए धरातल तैयार करने वाले वे सफेदपोश दानव भी हैं जो कि मानवों का चोगा पहनकर मानवों के प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं। 26 नवंबर को मुंबई में जो हुआ, वह कोई नई फिल्म नहीं थी, अपितु पूर्व में जयपुर-अहमदाबाद-दिल्ली इत्यादि जगहों पर दिखाए गए ट्रेलर की पूरी फिल्म भर थी। उस दिन जो मैंने देखा , वो आज मेरे मरण-दिवस को भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा। आप पाठकों से बस यहीं विनती है कि आज मरते हुए इस याचक को इतना आश्वासन दे दो कि जिस हालात से अभी मैं गुजर रहा हूं, उससे मेरा छोटा भाई 2009 ना गुजरे। क्या आप मेरी आवाज सुन रहे हैं??
नया साल आए बन के उजाला
जवाब देंहटाएंखुल जाए आपकी किस्मत का ताला|
चाँद तारे भी आप पर ही रौशनी डाले
हमेशा आप पे रहे मेहरबान उपरवाला ||
नूतन वर्ष मंगलमय हो |
सही कहा दोस्त। इस वर्ष का समापन ऐसा होगा, सोचा न था। मुंबई मे जो हुआ वो बहुत ही अमानवीय था। कितने सारे लोगों की ज़ि्न्दगी मे नया साल अब कभी नहीं आयेगा। इसलिये हमारा यह कर्त्तव्य है कि नये वर्श मे प्रवेश हुम इसी संकल्प के साथ करेंगे कि २००९ में हुम उन्हें उनके अंजाम तक ज़रूर पहुंचायेंगे, जो भी मुंबई हमले के पीछे हैं। एक उभरती हुयी वैश्विक शक्ति के आत्मसम्मान के लिये यह ज़रूरी है कि २०१० का सूरज वो लोग न देख पायें, जिन्होने न जाने कितने घरों के चिराग बुझा दिये हैं। दोस्त! नया वर्ष हमारे लिये शान्ति, समृद्धि और सुरक्षा लेकर आयेगा अब इसकी कामना नहीं करनी है, बल्कि इसे हम आगे बढ़्कर सुनिश्चित करेंगे। आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई मे इस वर्ष कोई भूमिका हमारी भी होगी.......
जवाब देंहटाएंonly one thing is needed and that is to hit pakistan
जवाब देंहटाएंbhai diwakar kya koi insaan ye bata paya hai ki uske baad aane wale insaan ke bhagya mein kya hai?
जवाब देंहटाएंphir bechaara 2008 kaise batayega?
aur, sab sukh hi raha to jivan kaisa? kabhi sampoorna sukh sambhav nahi hai. good aur bad dono aana anivarya hai so agar 2009 ko apni pehchaan banana hai to it should have more "goods" than "bads"
kya khayal hai is baare mein?
नया साल आए बन के उजाला
जवाब देंहटाएंखुल जाए आपकी किस्मत का ताला|
चाँद तारे भी आप पर ही रौशनी डाले
हमेशा आप पे रहे मेहरबान उपरवाला ||
नूतन वर्ष मंगलमय हो |
Bahut achha likha hai aapne , bahut sahi chitran kiya hai aapne 2008 ka,
जवाब देंहटाएं2008 bahut bura raha pure desh ke liye, Bihar me badh se jan-mal ka kaphi nuksan huwa, pure saal bhar atankbad kahar machata raha, nirdosh logo ka khun bahata raha, esliye sirf mujhe hi nahi balki har hindustani ko ye ummid hai ki naya saal 2009 bahut badhiya hoga
happy New Year to All of You
Regards
Ajit Tiwari
New Delhi
www.jaimaathawewali.com