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इस ब्लॉग को बनाते समय मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजी के ही अधिकतम प्रभुत्व वाले इंटरनेट रूपी समुद्र में अपनी हिंदी भाषा को और समृद्ध करना, ताकि आगे आने वाले समय में हिंदी भाषा के लिए मशीनी अनुवाद पर काम हो तो उसे शब्द भंडार (कॉर्पस) की कमी से ना जूझना पड़े। हालांकि मेरा यह प्रयास समुद्र में एक बूंद जल डालने से भी कम है।
कुछ दिल की, कुछ इधर-उधर की बातें...बांटने आया हूं आपसे.......
गुरुवार, 19 जुलाई 2007
आजकल मनमोहन जी दुःखी हैं......
विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि भारतीय गणराज्य के प्रधानमंत्री को आजकल नींद नहीं आ रही है । कारण तो कुछ ज्यादा स्पष्ट नहीं हुआ है लेकिन 'बेनकाब टी.वी.' के अनुसार हनीफ की माँ का रोना ही मनमोहन जी के नींद नहीं आने का सर्वप्रमुख कारण है । आखिर मनमोहन जी करें भी तो क्या करें? देश के संसाधनों पर सर्वप्रथम हक वाला , आस्ट्रेलियाई सरकार के द्वारा तंग किया जा रहा है ! अब ये अमेरिका के राष्ट्रपति तो हैं नहीं कि आस्ट्रेलिया को डाँट दें ! तो इन्होने अपनी नींद ना आने की चिन्ता से उबरने हेतु आस्ट्रेलियाई दूत को बुलाकर कह दिया कि भाई आप उसे सारी सुविधाएँ दो। हमारे प्रधानमंत्री जी बहुत व्यथित हो जाते हैं जब भी "संसाधनों पर पहले हक वालों" को उनके जिहाद कार्य से रोक दिया जाता है । हाँ, इनकी व्यथा तब कुछ हद तक दूर हो जाती है जब ये "हक वाले" कश्मीर में कुछ "बेहक वालों" को मार देते हैं । बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए प. बंगाल के 24 परगना जिले में एक 14 वर्षीय हिन्दू बालक को, उस क्षेत्र में अल्पसंख्यक होने के कारण जला देते हैं, इस घटना से उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंगती लेकिन सुदूर कहीं कुछ हो जाए तो बस पूछिए मत कि कैसी हो जाती है उनकी हालत ? हनीफ के अलावा एक और "हक वाला" इनका प्रिय है, जिसके बचाव में इनके अपने कश्मीरी मुख्यमंत्री आजाद साहब खुल कर बयान दे हीं चुके हैं । जी हाँ, आप सही समझे ! अफ़जल की ही बात कर रहा हूँ । इसके लिए भी मनमोहन जी बहुत परेशान रहते हैं । ये करें तो क्या करें ? अभी वर्तमान, किन्तु अगले कुछ दिनों मे भूतपूर्व होने वाले माननीय राष्ट्रपति डॉ. कलाम से इनके और इनकी सुप्रीमो के रिश्ते कुछ खास अच्छे हैं नहीं, इस कारण अफ़जल की माफ़ी की बात चला नहीं पा रहे हैं | इसलिए सोचा कि उस कुर्सी पर किसी खास सिपाहसलार को बैठा दिया जाए, जिससे कि आगामी समय में माफ़ी का रास्ता खुल जाए । जल्दी हीं उनका यह दुःख भी दूर होने वाला है ।
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nice satire! Down with UPA Govt's appeasement policies...
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