tag:blogger.com,1999:blog-1541693896018149565.post7473161723601763028..comments2023-10-02T17:46:19.184+05:30Comments on दिवाकरस्य वार्त्ताः: वही जगत् में सदा महान्दिवाकर मणिhttp://www.blogger.com/profile/03148232864896422250noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1541693896018149565.post-69184149412807118322007-11-18T23:02:00.000+05:302007-11-18T23:02:00.000+05:30भवान् सत्यं भणसि. यदि वयं संस्कृतानुरागिनः सूचनाप्...भवान् सत्यं भणसि. यदि वयं संस्कृतानुरागिनः सूचनाप्रौद्योगिकीक्षेत्रे स्वभाषायाः विकासं इच्छामः तर्हि ऑनलाइन (सामग्री)लेखनमावश्यकम्.दिवाकर मणिhttps://www.blogger.com/profile/03148232864896422250noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1541693896018149565.post-33937859666838582472007-11-18T22:18:00.000+05:302007-11-18T22:18:00.000+05:30अहं तु वरिष्ठ-कनिष्ठ छात्रान् अपि अस्मिन् पथि आगन्...अहं तु वरिष्ठ-कनिष्ठ छात्रान् अपि अस्मिन् पथि आगन्तुं प्रेरयितुमिच्छामि यत् ते अधिकाधिकं रचनाः कृत्वा हिन्द्यां वा संस्कृते वा स्वप्रतिभायाः केन्द्रस्य, संस्कृतस्य साहित्यसमृद्धतायाः विकासं कुर्युः ।दिवाकर मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/15376537950079751261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1541693896018149565.post-59765256027682536342007-11-18T21:54:00.000+05:302007-11-18T21:54:00.000+05:30सचमुच पिताजी की यह रचना सदाबहार प्रेरक है । इसमें ...सचमुच पिताजी की यह रचना सदाबहार प्रेरक है । इसमें जैसा कहा गया है वैसा आचरण करने वालों को दुनिया ठीक नहीं समझ पाती, कुछ कुछ मूर्ख समझती है परन्तु जिन्हें इस तरह जीने में आनन्द आ गया है वे इस सब की परवाह नहीं करते और अपने तरीके से आगे बढ़ते रहते हैं ।दिवाकर मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/15376537950079751261noreply@blogger.com